सोमवार, 6 सितंबर 2010

चिंतन

जीवन में आगे बढ़ने के लिए चिंतन बहुत जरूरी है। चिंतनशील मस्तिष्क
प्रगतिशील मनुष्य की निशानी है। आप चिंतन के जरिए ही अपनी खूबियों और
खामियों के बारे में गहराई से जानते हुए जीवन में आगे बढ़ने की राह
प्रशस्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि विभिन्न स्थितियों में चिंतन की
क्या महत्ता है।

सफलता की स्थिति में : सफलता की स्थिति में चिंतन करना इसलिए अनिवार्य
होता है कि आप इसके जरिए यह जान सकते हैं कि आपने कामयाबी को हासिल करने
के लिए किन चीजों का सहारा लिया, आपके ताकतवर पक्ष कौन से रहे, आगे के
सफर में कामयाबी के लिए और किस रास्ते का अनुसरण किया जाए
इत्यादि-इत्यादि। असफलता की अपेक्षा सफलता की स्थिति में अपने चिंतन को
सतत जारी रखना और ज्यादा जरूरी हो जाता है। सफलता पाना जितना मुश्किल है,
उसे बनाए रखना और आगे के सफर में कामयाब होना उससे भी ज्यादा मुश्किल।

असफलता की स्थिति में: आप चाहे कारोबार में हों, अध्ययन कर रहे हों या
अपने परिवार की ही किसी समस्या के निराकरण में आपको असफलता हाथ लगी हो;
ऐसे मामलों में भी चिंतन बहुत जरूरी है, ताकि आगे उस असफलता को आप न
दोहरा सकें। असफलता के दौरान आपने क्या गलतियां की, आपके वीक पॉइंट्स
क्या रहे, प्रतिद्वंद्वी को आगे बढ़ने के लिए आपने कहां स्पेस दिया,
समस्या को और ज्यादा बढ़ने के लिए जिम्मेदार तत्व क्या रहे इत्यादि बातों
पर चिंतन करना श्रेयस्कर रहता है।

मध्य की स्थिति: मध्य की स्थिति उसे कहा जाएगा, जब आप अपने मिशन की
शुरुआत करने जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपका चिंतन इस तरह का होना
चाहिए।

आप अपने काम को किस तरह से अंजाम दे सकते हैं। इस काम के लिए आपको किन
संसाधनों की आवश्यकता होगी।आपके कमजोर पक्ष क्या हैं और उन्हें पहले ही
किस तरह मजबूत कर लिया जाए।यदि अमुक प्रकार की कोई समस्या आड़े आ गई तो
आप उससे कैसे बाहर निकलेंगे आदि-आदि।चिंतन एकांत में करें और छोटी-छोटी
चीजों से इसकी शुरुआत करें। याद रखें दुनिया में जितनी भी महान हस्तियां
हैं, उन्होंने चिंता से नहीं वरन् चिंतन से उपलब्धियां हासिल की है। अत:
चिंतनशील बनें।
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संकलनकर्ता : यशपाल डबास, आर सी एम् सेवक  
 

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