रविवार, 3 अप्रैल 2011

हमारी भाषा - हमारे संस्कार

कुछ नासमझ लोग, श्री लंका के लिए बहुत ही अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. वो ये भूल गए हैं की २८ साल तक जितने भी क्रिकेट वर्ल्ड कप हुए उनमे हम जीत नहीं पाए, तो हम भी उसी कतार में थे जिसमे, आज श्रीलंका खड़ा हुआ. वो हमारे देश में आकर हारा, मेरे प्यारे भाइयो मैं एक सन्देश अपने इस  आर सी एम् जीवन के माध्यम से देना चाहता हूँ. क्योंकि आर सी एम् की शिक्षा हमारे संस्कार भी पैदा करती है. 

हमारी भाषा - हमारे संस्कार
भाषा वो हो जो दुश्मन को भी भाये,
विश्व विजेता वो जो दुनिया का चहेता बन जाए..
विश्व कप जीता, इस पर हमें गुमान हैं,
फिर भी न भूलें - हम आर. सी. एम् के सेवक,
और भारत की संतान हैं. हम सबसे पहले इंसान हैं.
इसलिए कहते हैं सारे जग वाले भी अब,
हमारा देश भारत और हम इसके वासी,
दोनों ही महान हैं.
जय आर. सी. एम्. / जय भारत

डॉ. प्रवीण शर्मा
09212943002 - Delhi

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